कविता सुनो ब्राह्मण - मलखान सिंह

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कविता सुनो ब्राह्मण - मलखान सिंह कविता सुनो ब्राह्मण - मलखान सिंह (Kavita Suno Barahaman - Malkhan Singh)




सुनो ब्राह्मण,

हमारे पसीने से बू आती है, तुम्हें।

तुम, हमारे साथ आओ

चमड़ा पकाएंगे दोनों मिल-बैठकर।

शाम को थककर पसर जाओ धरती पर

सूँघो खुद को

बेटों को, बेटियों को

तभी जान पाओगे तुम

जीवन की गंध को

बलवती होती है जो

देह की गंध से।

June 14, 2025