कविता सुनो ब्राह्मण - मलखान सिंह

कविता सुनो ब्राह्मण - मलखान सिंह कविता सुनो ब्राह्मण - मलखान सिंह (Kavita Suno Barahaman - Malkhan Singh)




सुनो ब्राह्मण,

हमारे पसीने से बू आती है, तुम्हें।

तुम, हमारे साथ आओ

चमड़ा पकाएंगे दोनों मिल-बैठकर।

शाम को थककर पसर जाओ धरती पर

सूँघो खुद को

बेटों को, बेटियों को

तभी जान पाओगे तुम

जीवन की गंध को

बलवती होती है जो

देह की गंध से।